प्रदूषण पर दिल्ली सरकार का एक्शन प्लान तैयार, 5 अक्टूबर से महा अभियान की शुरुआत
देश की राजधानी में प्रदूषण पैदा करने वाली सभी गतिविधियों के खिलाफ 5 अक्टूबर से केजरीवाल सरकार ने चौतरफा महा अभियान शुरू करने का ऐलान किया है. सीएम अरविंद केजरीवाल 5 अक्टूबर को पर्यावरण विभाग, विकास विभाग, पीडब्ल्यूडी, एमसीडी, एनडीएमसी, ट्रांसपोर्ट विभाग, ट्रैफिक पुलिस, डीडीए, डीएसआईडीसी और दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारियों के साथ बैठक के बाद इस महा अभियान की शुरूआत करेंगे.
पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने गिनाई प्रदूषण की वजह:
1. जाड़े के समय में प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है. जब हवा के अंदर ठंड और नमी बढ़ती है, उस समय पीएम-10 के और पीएम-2.5 के कण का घेरा दिल्ली के ऊपर बढ़ जाता है. इसके मुख्य तौर पर दो मुख्य कारण हैं.
2. पहला कारण है, जो दिल्ली के अंदर धूल प्रदूषण, बायोमाॅस बर्निंग, वाहनों के माध्यम से अलग-अलग तरह के कण उत्सर्जित होते हैं, वो दिल्ली की हवाओं में घुलते हैं और हवा बंधी होने के कारण वो बाहर नहीं जा पाते हैं और नीचे आकर हमारे फेफड़े के जरिए हमारी सांसों को प्रभावित करते हैं. कुछ प्रदूषण दिल्ली के लोगों के द्वारा अलग- अलग गतिविधियों के माध्यम से पैदा होता है. दीपावली के समय पटाखे जलाने, अलग-अलग जगहों पर कूड़े जलाने से पैदा होता है.
3. वहीं, प्रदूषण का दूसरा जो हिस्सा है, उसमें दिल्ली के लोगों की कोई भूमिका नहीं होती है. जैसे पराली का जलना, पिछले साल दिल्ली के अंदर पराली जलने की घटना लगभग शून्य रही है. वहीं, पंजाब के अंदर पश्चिमी यूपी के अंदर पराली जलाई जाती है. पिछली बार का आंकड़ा था कि दिल्ली के प्रदूषण में करीब 45% का योगदान पराली का रहा है. जब ठंड बढ़ती है, उसी समय दीपावली का पर्व भी होता है, उस समय पराली का धुंआ पूरी तरह से दिल्ली के वातावरण पर उसकी चादर घेर लेती है. इसके दिल्ली के चारों तरफ स्थित शहरों गाजियाबाद, नोएडा, गुड़गांव हैं, उनके इलाकों में जो गतिविधियां चलती हैं, दिल्ली का प्रदूषण स्तर बढ़ाने में उसका भी योगदान होता है.
4. साथ ही दिल्ली के अंदर जो थर्मल पावर थे, हमने उन्हें बंद कर दिया है, लेकिन अभी भी दिल्ली-एनसीआर के 300 किमी के क्षेत्र में 11 थर्मल पाॅवर पुरानी तकनीक के आधार पर चल रहा है.आंकड़े कहते हैं कि इसकी वजह से दिल्ली में पीएम-10 की 9 प्रतिशत और पीएम- 2.5 की करीब 11 प्रतिशत की वृद्धि होती है.
5. दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में पुरानी तकनीक से ईंट भट्ठे भी चल रहे हैं, जिसमें यूपी के अंदर 1640 ईंट भट्ठे हैं, हरियाणा में 161 हैं, राजस्थान में 164 ईंट भट्ठे दिल्ली एनसीआर के अंदर चल रहे हैं, जो दिल्ली के एयर सेट को प्रभावित करते हैं.पर्यावरणविदों की भाषा में कहें, तो जो दिल्ली का प्रदूषण है, वह सिर्फ यहां का नहीं है, बल्कि यह नार्थ एरिया का एक एयर सेड है, उसने जो योगदान होता है, उसका सारा प्रभाव दिल्ली के ऊपर भी पड़ता है.
केजरीवाल सरकार के मुताबिक पराली के साथ-साथ दिल्ली के लोगों के माध्यम से दिल्ली के अलग-अलग गतिविधियों के माध्यम से जो प्रदूषण पैदा होता है, उसको लेकर के पिछले 3 हफ्ते से अलग-अलग विभागों के साथ पर्यावरण मंत्रालय के अलग-अलग मंत्रालयों, पीडब्ल्यूडी, ट्रैफिक पुलिस के साथ लगातार बैठकें की हैं. जिसके बाद एक एक्शन प्लान बन कर तैयार हो गया है.
पांच अक्टूबर को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अध्यक्षता में दिल्ली सचिवालय में धूल, वाहन, बाॅयोमाॅस प्रदूषण के अलग-अलग क्षेत्रों के जिम्मेदार विभागों की बैठक होगी. जिसमें 10 विभागों, पर्यावरण विभाग, विकास विभाग, पीडब्ल्यूडी, एमसीडी के तीनों कमिश्नर, एनडीएमसी के सेक्रेटरी, ट्रांसपोर्ट विभाग, ट्रैफिक पुलिस, डीडीए, डीएसआईडीसी और दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारियों के साथ मुख्यमंत्री बैठक लेंगे. इन सभी विभागों को निर्देशित किया गया है कि बैठक में वो अपना एक्शन प्लान भी प्रस्तुति देंगे. उसके बाद दिल्ली के अंदर सभी तरह के प्रदूषण पैदा करने वाली गतिविधियों पर चौतfरफा अभियान चलाया जाएगा.