कश्मीर में सीज़फायर का आतंकियों ने जमकर उठाया फायदा, हैरान करने वाले आंकड़े उजागर
जम्मू कश्मीर में सुरक्षाबलों ने रमजान के महीने के दौरान सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन यानी कोई नया ऑपरेशन न चलाने का फैसला लिया था, लेकिन उसकी आड़ में यहां आतंकवादी लगातार अपनी ताकत बढ़ाते गए, सुरक्षाबलों पर हमले करते गए और नए-नए तरीके से अशांति फैलाने की कोशिश करते गए. आखिरकार आतंकवादियों ने रमजान के दौरान कैसे अपनी ताकत़ और बढ़ाई? इसकी कुछ खास जानकारी न्यूज़ 18 के पास है...
पिछले कुछ समय के दौरान कश्मीर घाटी में आतंकवादियों की संख्या में भारी इज़ाफा हुआ है. खुफिया एजेंसियों के सूत्रों के मुताबिक, फिलहाल 170 आतंकवादी कश्मीर में मौजूद है. इसमें से हिजबुल के 102, लश्कर के 47, जैश के 11, अल-बद्र के 2 और अंसारुल गजावत ए हिन्द के 6 आतंकवादी हैं. इन 170 आतंकवादियों में से 50 विदेशी मूल के हैं, यानी पाकिस्तानी आतंकवादियों की तादात भी कम नहीं है.
पिछले पांच सालों में रमजान महीने के मुकाबले इस साल रमजान के दौरान जो युवा आतंकवाद में शामिल हुए उनकी तादाद दोगुने से ज्यादा रही. इस साल जब सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन का फैसला रमजान के पवित्र महीने के दौरान लागू था, तो करीब 40 युवाओं ने आतंकवाद का रास्ता चुना, जबकि पिछले साल इसी समय लगभग 16 युवक आतंकी बने थे. यानी जब कश्मीर में सुरक्षाबल कोई ऑपरेशन नहीं चला रहे थे तो आतंकवादी युवाओं को भर्ती करने में जुटे थे और यही वजह है कि उनकी तादात 40 जा पहुंची.
आतंकवादी हर हाल में सरकार को गलत साबित करना चाहते थे, इसीलिए तीन तरीके के हमलों में बेतहाशा बढ़ोत्तरी दर्ज की गई. रमजान के पाक महीने में अगर पिछले साल 7 ग्रेनेड हमले हुए थे तो इस साल बढ़कर 23 हो गए. इसी वक्त पिछले साल वेपन स्नैचिंग की महज एक वारदात हुई थी, जो इस साल बढ़कर 8 पहुंच गई. फायरिंग की घटना रमजान के महीने में पिछले साल 7 थी जो इस साल बढ़कर 15 पहुंच गई. बेशक पत्थरबाजी की घटना 122 से घटकर 87 हो गई लेकिन उसकी बड़ी वजह ये थी कि कोई नया ऑपरेशन नहीं चल रहा था जिस वजह से स्थानीय लोगों ने विरोध नही किया.
साल 2003 में कश्मीर घाटी में आईईडी ब्लास्ट देखा गया था, लेकिन उसके बाद ये थम गया था. एक बार फिर इस तरीके के हमलों में तेजी आ गई है. सूत्रों के मुताबिक आईडी ब्लास्ट में आतंकवादी स्थानीय रॉमैटेरियर का इस्तेमाल करते हैं और इनके नुकसान करने की ताकत भी बहुत कम होती है. सुरक्षाबल फिलहाल ये मान रहे हैं कि आतंकवादी मौजूदा दौर में सिर्फ ये देखना चाहते हैं कि आईईडी से किस हद तक नुकसान हो रहा है.
कुल मिलाकर घाटी में सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन के फैसले के दौरान तीन चीजें सामने आई हैं पहला वापस हिजबुल मुजाहिदीन का सर उठाने की कोशिश करना दूसरा भारी तादाद में युवाओं का आतंकी बनना जारी रहना और तीसरा आतंकवादियों में बौखलाहट.