शिवराज के दो मंत्रियों की कुर्सी पर खतरा, 21 अक्टूबर तक नहीं बने MLA तो देना होगा इस्तीफा
मध्य प्रदेश में उपचुनाव को लेकर अभी तक कोई ऐलान नहीं हुआ है. ऐसे में शिवराज सरकार में ज्योतिरादित्य सिंधिया के गुट के शामिल मंत्री तुलसीराम सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत की कुर्सी पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं, क्योंकि दोनों मंत्री विधानसभा के सदस्य नहीं हैं. ऐसे में अगर 21 अक्टूबर, 2020 तक विधायक नहीं चुने जाते हैं, तो उन्हें मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ सकता है.
दरअसल, सिंधिया के साथ कांग्रेस के 22 विधायकों ने अपनी सदस्यता से इस्तीफा देकर बीजेपी का दामन थामा था, जिसके बाद कमलनाथ सरकार को सत्ता से बेदखल होना पड़ा था. इसके मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने 21 अप्रैल, 2020 को अपने मंत्रिमंडल का गठन किया था. शिवराज कैबिनेट में पहले 5 मंत्रियों को शामिल किया गया था, जिनमें सिंधिया के करीबी तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत भी शामिल थे. हालांकि, ये दोनों मंत्री विधायकी से इस्तीफा देकर आए थे.
संविधान की धारा 164 (4) के अनुसार तुलसीराम सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत को 6 माह में विधानसभा का सदस्य होना अनिवार्य है. तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत ने 21 अप्रैल 2020 को मंत्री पद की शपथ ली थी. 21 अक्टूबर को 6 महीने होने जा रहा है. ऐसे में दोनों नेताओं को अपने मंत्री पद को बचाए रखने के लिए 21 अक्टूबर से पहले विधानसभा का सदस्य बनना जरूरी है.
संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप कहते हैं कि बिना विधानसभा का सदस्य चुने हुए केवल छह महीने तक ही कोई मंत्री पद पर बना रह सकता है. ऐसे में उसे 6 महीने के अंदर विधानसभा या फिर विधान परिषद सदस्य के लिए चुना जाना जरूरी है. मध्य प्रदेश में विधान परिषद की व्यवस्था नहीं है. ऐसे में विधानसभा के उपचुनाव के जरिए चुनकर नहीं आते हैं तो उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना होगा.
वह कहते हैं कि निर्वाचन आयोग को कम से एक महीने पहले विधानसभा के उपचुनाव कराने के लिए घोषणा करनी होती है, क्योंकि नामांकन से लेकर वोटिंग और मतगणना तक तमाम प्रक्रियाएं करानी होती हैं. इसमें तकरीबन एक महीने का समय लग ही जाता है. सुभाष कश्यप कहते हैं कि चुनाव आयोग अगर इस बीच चुनाव की घोषणा नहीं करता है तो ऐसे में एक विकल्प यह हो सकता है कि संबंधित व्यक्ति 6 महीने की अवधि में अपना इस्तीफा दे और बाद में दोबारा मंत्री पद की शपथ ले सकते हैं. हालांकि, विधानसभा का सदस्य चुने बिना मंत्री पद की शपथ लेने का ये प्रावधान भी केवल दो बार ही लागू हो सकता है. इसके बाद उसे चुनाव जीतना जरूरी है.
सुभाष कश्यप के बात से साफ जाहिर है कि अगर अगले दस दिनों में मध्य प्रदेश उपचुनाव को लेकर निर्वाचन आयोग द्वारा घोषणा नहीं होती है तो तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत को अपनी कुर्सी छोड़नी पड़ सकती है. मध्य प्रदेश की 27 विधानसभा सीटें रिक्त पड़ी हुई है, जिनमें सिलावट की सांवेर और गोविंद सिंह राजपूत की सुर्खी विधानसभा सीट भी शामिल है. इन दोनों बीजेपी नेताओं का अपनी-अपनी परंपरागत सीटों से उपचुनाव लड़ना तय माना जा रहा है.
हालांकि, चुनाव आयोग यह तो साफ कर चुका है कि मध्य प्रदेश की रिक्त पड़ी सीटों पर उपचुनाव 29 नवंबर से पहले करा दिए जाएंगे. लेकिन अगर चुनाव उपचुनाव की प्रक्रिया 21 अक्टूबर तक पूरी नहीं हुई तो फिर दोनों को मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ेगा. यह माना जा रहा है कि चुनाव आयोग जल्द ही चुनाव की तारीखों का ऐलान कर सकता है. लेकिन 21 अक्टूबर से पहले चुनाव को लेकर संकट के बादल मंडरा रहे हैं.