मजदूरों का टूट रहा सब्र, मुंबई समेत कई शहरों में घर वापसी के लिए जमकर किया बवाल

कोरोना वायरस महासंकट के बीच देश में लॉकडाउन लागू है और इसकी सबसे बड़ी मार देश के करोड़ों मजदूरों पर पड़ी है. यातायात के साधन बंद होने की वजह से मजदूर जहां थे वहां पर ही फंस गए और पैदल या साइकिल पर सवार होकर ही घर वापस जाना पड़ रहा है. इस बीच देश के अलग-अलग हिस्सों से मजदूरों के हंगामे, घर जाने की अपील को लेकर तस्वीरें सामने आ रही हैं, जो विचलित करती हैं.

महाराष्ट्र

जिन मजदूरों को श्रमिक स्पेशल ट्रेन की सुविधा नहीं मिल रही है, वह पैदल घर की ओर से निकल रहे हैं या स्थानीय प्रशासन से अपील कर रही हैं. महाराष्ट्र के मुंबई में एक बार फिर मजदूरों का गुस्सा फूटा, यहां नागपाड़ा इलाके में सैकड़ों की संख्या में मजदूर सड़कों पर उतर आए. बेलासिस रोड के पास मजदूरों ने अपने घर उत्तर प्रदेश भेजने की मांग की, लेकिन जब भीड़ बढ़ती गई तो स्थानीय पुलिस ने लाठीचार्ज कर मजदूरों को भगाया.

गुजरात

दूसरी ओर गुजरात के कच्छ में भी प्रवासी मजदूरों ने स्थानीय प्रशासन के खिलाफ हंगामा किया. कच्छ के गांधीधाम में सैकड़ों मजदूरों ने सड़क पर हंगामा किया, हाइवे को ब्लॉक कर दिया और जब पुलिस ने लाठीचार्ज शुरू किया तो उनपर ही पत्थर बरसा दिए. मजदूरों का आरोप है कि उन्होंने टिकट के पैसे दिए हैं, लेकिन ट्रेन की व्यवस्था अबतक नहीं हुई.

उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में सड़क से ही बिहार लौट रहे मजदूरों ने अपना गुस्सा जाहिर किया. हरियाणा से निकल कर बॉर्डर पर जमा हुए मजदूरों ने आरोप लगाया कि फैक्ट्री में मालिक हमें घर जाने को कह रहा है इसलिए हम निकल गए लेकिन बिहार की सरकार उनके घर जाने की कोई व्यवस्था नहीं कर रही है. इसके बाद मजदूरों को स्थानीय शेल्टर होम में शिफ्ट किया गया है.

पंजाब

पंजाब के बठिंडा में सैकड़ों की संख्या में मजदूर रेलवे स्टेशन पहुंच गए, मजदूरों का कहना था कि उन्हें कहा गया कि यहां से श्रमिक ट्रेन जा रही है. इसलिए वे कई किमी. चलकर स्टेशन आए थे, लेकिन अब यहां कुछ नहीं हैं तो वापस वहां ही जा रहे हैं जहां रुके हुए थे.

मध्य प्रदेश-बिहार

गौरतलब है कि केंद्र सरकार के द्वारा श्रमिकों की घर वापसी के लिए स्पेशल ट्रेनें चलाई जा रही हैं, लेकिन इन ट्रेनों में उन्हीं श्रमिकों को जाने दिया जा रहा है जिनकी जानकारी स्थानीय अधिकारी और संबंधित राज्य सरकारों के द्वारा दी जा रही है. यही कारण है कि अभी भी हजारों मजदूरों को इसका लाभ नहीं मिला है.