एल्गार केस पर शिवसेना-NCP में बढ़ी खींचतान, शरद पवार ने बुलाई मंत्रियों की बैठक

भीमा कोरेगांव हिंसा की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंपने के मामले में शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के बीच खींचतान बढ़ती जा रही है. एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने उद्धव सरकार के फैसले पर नाखुशी जाहिर करते हुए आज पार्टी के सभी 16 मंत्रियों की बैठक बुलाई है. दरअसल, एल्गार परिषद केस की जांच का जिम्मा भी एनआईए को दे दिया गया है.

एनसीपी चीफ शरद पवार ने कोल्हापुर में एक रैली के दौरान मोदी सरकार पर जांच को राज्य से वापस अपने हाथ में लेने का आरोप लगाया. शरद पवार का कहना था कि भीमा कोरेगांव मामले में महाराष्ट्र सरकार कुछ एक्शन लेने वाली थी, इसलिए केंद्र ने एल्गार परिषद के मामले को अपने हाथ में ले लिया. कानून व्यवस्था पूरी तरह से राज्य के हाथ में होनी चाहिए, लेकिन हैरानी वाली बात है कि राज्य सरकार ने केंद्र के इस फैसले का पुरजोर विरोध नहीं किया.

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इसके साथ राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) पर भी शिवसेना और एनसीपी के बीच खींचतान बढ़ गई है. दरअसल, उद्धव सरकार ने 1 मई से राज्य में एनपीआर प्रक्रिया को शुरू करने की तैयारी की है. 1 मई ही केंद्र की ओर से दी गई तारीख है. हालांकि, कांग्रेस और एनसीपी ने साफ कह दिया है कि हम एनपीआर का भी विरोध कर रहे हैं.

फडणवीस ने उद्धव सरकार को दी बधाई

एल्गार परिषद केस की जांच का जिम्मा एनआईए को दिए जाने पर पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने खुशी जाहिर की है. उन्होंने कहा, 'भीमा कोरेगांव मामले को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को भेजने के लिए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को धन्यवाद देता हूं. शरद पवार इसका विरोध कर रहे थे क्योंकि उन्हें डर था कि एनआईए की जांच से सच्चाई सामने आ जाएगी.'

एसआईटी का गठन करना चाहती है राज्य सरकार

एल्गार परिषद केस की जांच के लिए महाराष्ट्र सरकार एसआईटी गठन करना चाहती है. एनसीपी नेता और गृह मंत्री अनिल देशमुख ने कहा है कि एल्गार परिषद केस की जांच के लिए एसआईटी गठन करने को राज्य सरकार कानूनविदों की सहायता ले रही है. हालांकि, पुणे की एक कोर्ट के आदेश पर महाराष्ट्र सरकार ने केस की जांच एनआईए को दे दी है. फिर भी महाराष्ट्र सरकार चाहती है कि इस मामले के लिए एसआईटी का गठन किया जाए.

क्या है एल्गार परिषद केस

एल्गार परिषद केस पुणे में भड़काऊ भाषण देने से जुड़ा है. पुलिस का मानना है कि 31 दिसंबर 2017 को कुछ लोगों ने भड़काऊ भाषण दिया था. इस भाषण के अगले ही दिन भीमा-कोरेगांव में हिंसा भड़क उठी थी. पुणे पुलिस का दावा है कि एल्गार परिषद कार्यक्रम को माओवादियों का समर्थन हासिल था, इस मामले में पुलिस ने 9 लोगों को गिरफ्तार किया था.