रिटायर हुआ करगिल का हीरो मिग-27, जोधपुर में 7 लड़ाकू विमानों ने भरी आखिरी उड़ान

पाकिस्तान के साथ हुए करगिल युद्ध का हीरो लड़ाकू विमान मिग-27 आज वायुसेना से रिटायर हो गया है. राजस्थान के जोधपुर एयरबेस में 7 लड़ाकू विमानों ने अपनी आखिरी उड़ान भरी. इस दौरान वायुसेना के कई बड़े अधिकारी मौजूद रहे. विदाई के दौरान मिग-27 को सलामी भी दी गई. मिग-27 ने तीन दशक तक भारत की वायुसेना की सेवा की.बता दें कि सात लड़ाकू विमानों वाले इस स्क्वाड्रन को 31 मार्च 2020 को नम्बर प्लेटेड किया जाएगा. जोधपुर एयरबेस पर हुई इस डी-इंडक्शन सेरेमनी में वायुसेना के कई अधिकारी मौजूद रहे. वायुसेना में अब मिग-27 की जगह मिग-21 लड़ाकू विमान ने ले ली है.

क्यों खास है मिग-27? 

तीन दशक से अधिक की उल्लेखनीय सेवा के बाद, भारतीय वायु सेना का मिग-27 लड़ाकू विमान वायु सेना स्टेशन, जोधपुर से एक भव्य समारोह में डीकमीशन किया गया. भारतीय वायु सेना के बेड़े में 1985 में शामिल किया गया यह अत्यंत सक्षम लड़ाकू विमान ज़मीनी हमले की क्षमता का आधार रहा है. वायु सेना के सभी प्रमुख ऑपरेशन्स में भाग लेने के साथ मिग-27 नें 1999 के कारगिल युद्ध में भी एक अभूतपूर्व भूमिका निभाई थी.

भारतीय वायुसेना में स्क्वाड्रन 29 इकलौती यूनिट है जो मिग-27 के अपग्रेड वैरिएंट का अब तक इस्तेमाल करती आ रही है. मिग 27 का 2006 का उन्नत वैरिएंट आखिरी स्क्वाड्रन में अब तक सक्रिय रहा है. मिग सीरीज के अन्य वैरिएंट, मिग-23 BN और मिग-23 MF और विशुद्ध मिग 27 पहले ही भारतीय वायु सेना से रिटायर हो चुके हैं.

कब हुई थी स्क्वाड्रन  की स्थापना?

स्क्वाड्रन  की स्थापना 10 मार्च 1958 को हलवारा में औरागन (तूफानी) एयरक्राफ्ट के साथ हुई. दशकों तक स्क्वाड्रन में विभिन्न तरह के लड़ाकू विमानों जैसे कि मिग 21 77, मिग 21 टाइप 96, मिग 27 एमएल और मिग 27 अपग्रेड का इस्तेमाल किया गया.

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