मुरैना में रेत माफिया ने पुलिस पर की फायरिंग, 6 गिरफ्तार

मुरैना में चंबल नदी के किनारे रेत माफिया के गुंडों ने मंगलवार सुबह पुलिस और वनकर्मियों की टीम पर कई राउंड गोलियां चलाईं. एक दर्जन से अधिक डम्पर और ट्रैक्टर ट्रालियों के जरिए अवैध रेत को ले जाने की सूचना मिलने पर करीब 100 पुलिस और वनकर्मी मौके पर पहुंचे.

अपने को घिरा देख कर रेत माफिया के गुंडों ने फायरिंग शुरू कर दी. पुलिस को जवाबी फायरिंग करनी पड़ी लेकिन कोई घायल नहीं हुआ. छह लोगों को गिरफ्तार किया गया. एक दर्जन डम्पर और ट्रैक्टर ट्रॉली जब्त किए गए. डम्पर और ट्रैक्टर ट्रालियों के साथ मौजूद कई लोग फायरिंग की आड़ में भागने में कामयाब रहे.

अंधाधुंध फायरिंग

ऑपरेशन खत्म होने के बाद अतिरिक्त एसपी आशुतोष बागड़ी ने बताया, ‘पुलिस को मुखबिर से सूचना मिली थी कि बड़े पैमाने पर रेत का अवैध खनन और उसकी ढुलाई की जा रही है. बागड़ी के मुताबिक रेत माफिया को धोखे में रखने के लिए पुलिस और वनकर्मियों की टीम डम्पर और ट्रैक्टर ट्रालियों पर ही वहां पहुंची. जैसे ही रेत माफिया के गुंडों को इसकी भनक लगी, उन्होंने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी. पुलिस ने जवाबी फायरिंग की. कोई घायल नहीं हुआ लेकिन अवैध खनन और ढुलाई कर रहे कई लोग वहां से भाग गए.’

पुलिस ने इस मामले में छह गिरफ्तार किए गए लोगों के साथ कई अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है.

बता दें कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार पर विपक्षी पार्टी बीजेपी रेत और पत्थर माफिया को संरक्षण देने का आरोप लगाती रही है. दिसंबर 2018 में मध्य प्रदेश में सत्ता परिवर्तन होने के बाद ये पहला मौका है जब रेत माफिया के खिलाफ बड़े पैमाने पर कोई कार्रवाई की गई.

कई पुलिस अफसरों की जा चुकी है जान

जब कांग्रेस विपक्ष में थी तो वो ऐसे ही आरोप तत्कालीन शिवराज सिंह चौहान सरकार पर लगाती थी. राज्य में रेत माफिया के खिलाफ पहले हुई कार्रवाइयों में आईपीएस अफसर समेत कई पुलिसकर्मियों की जान जा चुकी हैं.

हाल में सत्तारूढ़ कांग्रेस के ही कुछ कार्यकर्ताओं ने मुरैना में रेत माफिया को संरक्षण देने का आरोप लगाते हुए अपनी ही सरकार में मंत्री के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था.

कमलनाथ सरकार का दावा है कि उसने अवैध खनन को रोकने के लिए राज्य खनन नीति में बदलाव किया है और खनन का अधिकार पंचायतों से वापस ले लिया है.