कम पानी वाली फसलें लगाएं किसान
ग्वालियर। कम बारिश की स्थिति में किसानों को अपने खेतों में कुसुम, तोरिया, मसूर आदि ऐसी फसलें लगानी चाहिए जो कम पानी में भी अच्छी पैदावार देती हैं। जलवायु परिस्थितियों एवं पानी की उपलब्धता के आधार पर फसलों का चयन किसानों को विपरीत स्थिति में नुकसान से बचाता है।
विगत दिवस मुरैना के मितावली,पड़ावली गांव में कृषक संगोष्ठी में किसानों को सलाह देते हुए यह बात कृषि महाविद्यालय ग्वालियर के पादप प्रजनन विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. यू. सी. सिंह ने कही। उन्होंने किसानों को कम वर्षा वाली फसलों आदि में लगने वाले कीट एवं उनकी रोकथाम के बारे में विस्तार से बताया। यह संगोष्ठी मेरा गांव मेरा गौरव कार्यक्रम अंतर्गत कृषि महाविद्यालय ग्वालियर की एक टीम द्वारा विगत दिवस विभिन्न गांवो में आयोजित की गई। कार्यक्रम के अंतर्गत
कृषि महाविद्यालय ग्वालियर के अधिष्ठाता डाॅ. एम. पी. जैन के निर्देशन में महाविद्यालयों के वैज्ञानिकों का दल ग्राम रांसू, रनचोली, पड़ावली एवं मितावली में पहुंचा। इस दल ने इन गांवों में सघन भ्रमण कर कृषकों के खेतों में जाकर सब्जी, सरसों, गेहूं, गन्ना आदि फसलों की विभिन्न समस्याओं का समाधान किया। इस अवसर पर वैज्ञानिक डाॅ. सुषमा तिवारी ने किसानों के आर्थिक स्तर को और मजबूत करने के लिए मंगफली की फसल लगाने को प्रेरित किया और कहा कि मंगफली में ऐसे तत्वों की भरमार है जिनसे हम शक्तिशाली बनते हैं। मुर्गी के अंडे से भी ज्यादा शक्ति हमें मूंगफली के सेवन से हो सकती है।
डाॅ. तिवारी ने बच्चों को समय से उठने, साफ सफाई हेतु रोज नहाने, खाना खाने के लिए पहले हाथ मंुह धोने के महत्व पर प्रकाश डाला। गांवों में किसानेां को दल में शामिल अन्य विशेषज्ञों ने भी कृषि की विभिन्न तकनीकों पर उपयोगी जानकारी दी। संगोष्ठी में गांवों के कई किसान शामिल हुए। इस अवसर पर दल में पीएचडी स्काॅलर्स धीरेन्द्र माहौर, भरतलाल, रुपसिंह दांगी आदि भी शामिल थे।