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बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद भारत के लिए सीमा की सुरक्षा ज्यादा अहम हो गई है. ऐसे में राफेल फाइटर विमान काफी महत्वपूर्ण हो गया है. दुनिया का सबसे घातक फाइटर जेट राफेल जल्द ही बॉर्डर पर भारत की ताकत बढ़ाएंगे. ये चीन सीमा पर तैनात किए जाएंगे.
भारतीय वायु सेना ने फ्रांस से मिले लड़ाकू विमान राफेल को पूर्वोत्तर क्षेत्र में तैनात करने का फैसला किया है. इन विमानों को पाकिस्तान बॉर्डर से पहले चीन बॉर्डर पर तैनात किया जाएगा. विमानों को लेकर चीन के साथ किसी भी तरह के हालात से निपटने के लिए तैयारी पूरी की जा रही है
शिलांग में सेना के प्रवक्ता ने बताया है कि जल्दी ही राफेल को चिनूक और अपाचे हेलिकॉप्टरों के साथ पूर्वोत्तर में तैनात किया जाएगा. पूर्वी कमान क्षेत्र में अरुणाचल प्रदेश को लेकर चीन का रुख आक्रामक रहता है. ऐसे में राफेल की तैनाती काफी अहम मानी जा रहा है.
पूर्वोत्तर में तैनात किए जा रहे ज्यादातर राफेल विमानों की तैनाती चीन की सीमा के आसपास होगी. इन विमानों के उतरने के लिए आठ लैंडिंग ग्राउंड तैयार किए गए हैं, जो किसी भी समय चालू किए जा सकते हैं.
भारतीय वायुसेना को जल्द ही दुनिया का सबसे घातक फाइटर जेट राफेल मिलने जा रहा है. 8 अक्टूबर यानी विजयादशमी के दिन पहला राफेल फाइटर एयरक्राफ्ट वायुसेना को आधिकारिक तौर पर मिल जाएगा. वायुसेना को कुल 36 राफेल लड़ाकू विमान मिलेंगे.
राफेल फाइटर जेट की खासियत ये है कि यह कई तरह के रोल निभा सकता है. हवा से हवा में मार कर सकता, हवा से जमीन पर भी आक्रमण करने में सक्षम है. इसमें परमाणु बम गिराने की भी ताकत है. एक मिनट में विमान के दोनों तरफ से 30 MM की तोप से 2500 राउंड गोले दागे जा सकते हैं.
राफेल में एक सिस्टम है जो दुश्मनों के क्षेत्र में लड़ाई कर वापस आने में भी मदद कर सकता है. यह जेट इतना फ्लेक्सिबल है कि कम से कम ऊंचाई से लेकर अधिक से अधिक ऊंचाई तक, दोनों ही स्थितियों में बेहतर एक्शन ले सकता है.
राफेल विमान डील काफी चर्चा में रहा. विपक्ष की ओर से सरकार पर इस मामले में गलत डील करने का आरोप लगाया गया. लोकसभा चुनाव में राफेल डील मुद्दा बना रहा लेकिन केंद्र सरकार इस पर पीछे नहीं हटी और आखिरकार अब राफेल जल्द ही भारतीय वायुसेना की ताकत बनने वाला है.