अगले 48 घंटे Chandrayaan-2 के लिए अहम, दुनियाभर में मौजूद ISRO के 19 सेंटर्स रख रहे हैं नजर
ISRO अपने टेलीमेट्री ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क (ISTRAC) सेंटर के 19 सब-सेंटर्स के जरिए Chandrayaan-2 पर नजर रख रहा है. इन्हें टेलीमेट्री एंड ट्रैकिंग (TTC) सेंटर कहते हैं. इनमें से 5 देश में हैं. ये बेंगलुरु, श्रीहरिकोटा, पोर्ट ब्लेयर, तिरुवनंतपुरम और लखनऊ में स्थित हैं. इनके अलावा ब्रुनेई, बियाक और मॉरिशस समेत 14 सेंटर्स दुनिया के अलग-अलग देशों में मौजूद हैं.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 21 अगस्त को Chandrayaan-2 को चांद की दूसरी कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश करा दिया था. आज से दो दिन बाद यानी 28 अगस्त को चंद्रयान-2 को इसे चांद की तीसरी कक्षा में डाला जाएगा. चंद्रयान-2 को चांद की तीसरी कक्षा में सुबह 5.30 से 6.30 के बीच डाला जाएगा. इसके बाद चंद्रयान-2 चांद के चारों तरफ 178 किमी की एपोजी और 1411 किमी की पेरीजी में चक्कर लगाएगा. लेकिन, क्या आपको पता है कि चांद के चारों तरफ चक्कर लगा रहे चंद्रयान-2 पर इसरो वैज्ञानिक नजर कैसे रखते हैं.
इसरो सूत्रों के अनुसार चंद्रयान-2 पर नजर रखने के लिए इसरो मदद लेता है अपने इसरो टेलीमेट्री ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क (ISTRAC) सेंटर से. इस सेंटर के दुनियाभर में करीब 19 शाखाएं हैं. इन्हें टेलीमेट्री एंड ट्रैकिंग (TTC) सेंटर कहते हैं. इनमें से पांच शाखाएं देश में हैं. ये बेंगलुरु, श्रीहरिकोटा, पोर्ट ब्लेयर, तिरुवनंतपुरम और लखनऊ में स्थित हैं. इनके अलावा ब्रुनेई, बियाक और मॉरिशस समेत 14 सेंटर्स दुनिया के अलग-अलग देशों में मौजूद हैं. ये सेंटर्स दिन-रात चंद्रयान-2 पर निगरानी रखे हुए हैं.
20 अगस्त को 90% गति कम कर चांद की कक्षा में पहुंचाया था चंद्रयान-2 को
चांद के चारों तरफ 4 बार कक्षाएं बदलने के बाद चंद्रयान-2 से विक्रम लैंडर बाहर निकल जाएगा. विक्रम लैंडर अपने अंदर मौजूद प्रज्ञान रोवर को लेकर चांद की तरफ बढ़ना शुरू करेगा.
3 सितंबर को विक्रम लैंडर के सेहत की जांच की जाएगी
3 सितंबर को विक्रम लैंडर की सेहत जांचने के लिए इसरो वैज्ञानिक 3 सेकंड के लिए उसका इंजन ऑन करेंगे और उसकी कक्षा में मामूली बदलाव करेंगे.
4 सितंबर को चांद के सबसे नजदीक पहुंच जाएगा चंद्रयान-2
इसरो वैज्ञानिक विक्रम लैंडर को 4 सितंबर को चांद के सबसे नजदीकी कक्षा में पहुंचाएंगे. इस कक्षा की एपोजी 35 किमी और पेरीजी 97 किमी होगी. अगले तीन दिनों तक विक्रम लैंडर इसी कक्षा में चांद का चक्कर लगाता रहेगा. इस दौरान इसरो वैज्ञानिक विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर के सेहत की जांच करते रहेंगे.
7 सितंबर होगा सबसे चुनौतीपूर्ण, चांद पर उतरेगा विक्रम लैंडर
- 1:40 बजे रात (6 और 7 सितंबर की दरम्यानी रात) - विक्रम लैंडर 35 किमी की ऊंचाई से चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरना शुरू करेगा. यह इसरो वैज्ञानिकों के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण काम होगा.
- 1:55 बजे रात - विक्रम लैंडर दक्षिणी ध्रुव पर मौजूद दो क्रेटर मैंजिनस-सी और सिंपेलियस-एन के बीच मौजूद मैदान में उतरेगा. लैंडर 2 मीटर प्रति सेकंड की गति से चांद की सतह पर उतरेगा. ये 15 मिनट बेहद तनावपूर्ण होंगे.
- 3.55 बजे रात - लैंडिंग के करीब 2 घंटे के बाद विक्रम लैंडर का रैंप खुलेगा. इसी के जरिए 6 पहियों वाला प्रज्ञान रोवर चांद की सतह पर उतरेगा.
- 5.05 बजे सुबह - प्रज्ञान रोवर का सोलर पैनल खुलेगा. इसी सोलर पैनल के जरिए वह ऊर्जा हासिल करेगा.
- 5.10 बजे सुबह - प्रज्ञान रोवर चांद की सतह पर चलना शुरू करेगा. वह एक सेंटीमीटर प्रति सेकंड की गति से चांद की सतह पर 14 दिनों तक यात्रा करेगा. इस दौरान वह 500 मीटर की दूरी तय करेगा.
7 सितंबर को चंद्रयान-2 चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करेगा. चंद्रयान-2 को 22 जुलाई को श्रीहरिकोटा प्रक्षेपण केंद्र से रॉकेट बाहुबली के जरिए प्रक्षेपित किया गया था. इससे पहले 14 अगस्त को चंद्रयान-2 को ट्रांस लूनर ऑर्बिट में डाला गया था. उम्मीद जताई जा रही है कि 7 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चंद्रयान-2 की चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग को लाइव देखेंगे.