खुलेगा RSS का पहला आर्मी स्कूल, 40 करोड़ आएगा खर्च, ऐसे मिलेगा एडमिशन

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) अगले साल अपना पहला 'आर्मी स्कूल' शुरू करेगा जिसमें सशस्त्र बलों में शामिल होने के इच्छुक बच्चों को ट्रेनिंग दी जाएगी.

ये आर्मी स्कूल आरएसएस की शिक्षा शाखा विद्या भारती द्वारा चलाया जाएगा. स्कूल का नाम आरएसएस के पूर्व सरसंघचालक राजेंद्र सिंह उर्फ रज्‍जू भैया के नाम पर रखा जाएगा. स्कूल का नाम होगा "रज्‍जू भैया सैनिक विद्या मंदिर".

ये स्कूल उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के शिकारपुर में बनाया जाएगा. जहां रज्‍जू भैया का 1922 में जन्म हुआ था.

इस स्कूल में छठी कक्षा से लेकर बारहवीं कक्षा तक के छात्र होंगे. अप्रैल से कक्षाएं शुरू हो जाएंगी. इसमें सीबीएसई का सिलेबस पढ़ाया जाएगा. स्कूल के निर्माण का काम चल रहा है.

विद्या भारती उच्‍च शिक्षा संस्‍थान के पश्चिमी यूपी और उत्‍तराखंड के संयोजक अजय गोयल का कहना है कि आर्मी स्कूल बनाने का ये हमारा पहला प्रयोग है. विद्या भारती देशभर में 20,000 से अधिक स्कूलों का संचालन कर रहा है.

पहले बैच का प्रॉस्‍पेक्‍टस लगभग तैयार है. जिसके बाद आवेदन मांगने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी. पहले बैच में कक्षा छठी के लिए 160 छात्रों का दाखिला किया जाएगा. शहीदों के बच्चों को "आरक्षण योजना" के तहत 56 सीटें मिलेंगी. सितंबर में रिटायर्ड आर्मी ऑफिसर्स स्कूल के सुझाव के लिए बैठक करने वाले हैं. अजय गोयल ने कहा "देश भर में सेना के कई अधिकारी आरएसएस या संबद्ध संगठनों के संपर्क में हैं. एक सप्ताह के भीतर बैठक की तारीख को तय जाएगा".

क्यों तैयार किया जा रहा है आर्मी स्कूल
आरएसएस शुरू से ही स्कूलों में सैन्य शिक्षा की वकालत कर रहा है. साल 1937 में नासिक के 'भोंसला मिलिट्री स्‍कूल' की स्थापना बीएस मुंजे ने की थी. मुंजे आरएसएस के संस्‍थापक केशव बलराम हेडगेवार के गुरु थे. इस स्कूल के कार्यक्रमों में आरएसएस के नेता हिस्सा लेते हैं, लेकिन  संगठन इसे चलाने में सीधे तौर पर शामिल नहीं होता है. इस स्‍कूल का संचालन सेंट्रल हिंदू मिलिट्री एजुकेशन सोसायटी की ओर से किया जाता है.

इस स्‍कूल के ब्रोशर में लिखा है, 'देश में सेना, नौसेना और वायु सेना, तीनों सेनाओं में अधिकारियों की कमी है. इसकी वजह यह है कि अधिकांश युवा सैन्‍य अधिकारी बनने के मानदंड को पास नहीं कर पाते हैं.  वहीं हर राज्य में एक आर्मी स्कूल है जो भारतीय बलों में अधिकारियों की मांग को पूरा करने में सक्षम नहीं है.

पूर्व आर्मी मैन और किसान राजपाल सिंह ने इस स्कूल के निर्माण के लिए जमीन दान की थी. जिसका क्षेत्रफल 20,000 स्‍क्‍वेयर मीटर है. स्कूल के निर्माण का काम पिछले साल 24 अगस्त से शुरू हो गया था. अब ये भूमि राजपाल सिंह जनकल्‍याण सेवा समिति ट्रस्‍ट की संपत्ति है.