Oscars 2018 : पहला ऑस्कर एक कुत्ते को मिल ही गया था...

दिलचस्प है कि पहला ऑस्कर समारोह 1929 में आयोजित हुआ था और इससे जुड़ा पहला अवॉर्ड रिन टिन टिन नाम के लोकप्रिय कुत्ते को मिलने वाला था.

‘यह क्या ऑस्कर-ऑस्कर लगा रखा है’ – पांच मार्च आते आते बहुत जल्द फेसबुक और ट्विटर पर इस भावना से ओत-प्रोत स्टेटस देखे जा सकेंगे. हर साल की तरह इस बार भी एक खेमा वह है जो ऑस्कर में नामांकित फिल्मों का लेखा-जोखा रख रहा होगा. तो दूसरी तरफ है वह दल जो कहेगा कि क्यों हम ऑस्कर के लिए इतना मरते हैं, इतना व्याकुल रहते हैं. हमारी फिल्मों को ऑस्कर की जरूरत नहीं है, वगैरह वगैरह. तो ऑस्कर के विरोधियो के लिए हमारे पास एक दिलचस्प जानकारी है जिसका इस्तेमाल करके वह अपना केस और तगड़ा कर सकते हैं.
दिलचस्प है कि पहला ऑस्कर समारोह 1929 में आयोजित हुआ था और इससे जुड़ा पहला अवॉर्ड रिन टिन टिन नाम के लोकप्रिय कुत्ते को मिलने वाला था. अमेरिकी पत्रकार सुज़ान ओर्लियन ने एक किताब में इस बात का खुलासा किया था कि रिन टिन टिन को ऑस्कर में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के सम्मान के लिए सर्वाधिक वोट मिले थे. लेकिन बाद में ऑस्कर आयोजित करने वाली अकादमी को लगा कि इससे उनकी गंभीरता पर सवाल उठेंगे. समिति को लगा कि बेहतर होगा कि इतना बड़ा सम्मान, वो भी पहला सम्मान किसी इंसान को ही दिया जाए. तब जर्मन अभिनेता एमिल जैनिंग्स को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के सम्मान के लिए चुना गया.
जैनिंग्स की बात बाद में करेंगे, पहले बात रिन टिन टिन की जो जर्मन शेपर्ड प्रजाति का कुत्ता था. 1918 में युद्ध के दौरान एक अमेरिकी सैनिक ली डंकन, रिन टिन को फ्रांस से बचाकर अमेरिका लाए थे. डंकन इस कुत्ते को प्यार से रिन्टी बुलाते थे और उन्होंने ही उसे तमाम तरह की ट्रेनिंग दी जिसके बाद रिन्टी को मूक फिल्मों में काम दिया जाने लगा. रिन्टी यानि रिन टिन सुपरस्टार बन गया. उसने 27 हॉलीवुड फिल्में की जिसमें से चार तो 1929 में ही रिलीज़ हुई थीं. वह किसी इंसान से कहीं ज्यादा लोकप्रिय नाम बन चुका था. कहा जाता है कि अमेरिकी घरों में जर्मन शेपर्ड प्रजाति के कुत्ते रखने का चलन भी रिन टिन टिन की वजह से ही बढ़ा था. हद तो यह है कि हॉलीवुड के दिग्गज निर्माता वॉर्नर ब्रदर्स की सफलता के लिए भी रिन टिन टिन की फिल्में ही थीं.
अब बात एमिल जैनिंग्स की करते हैं. जैनिंग्स अभी तक ऑस्कर हासिल करने वाले एकमात्र जर्मन कलाकार हैं. इससे ज्यादा दिलचस्प बात यह भी है कि 1929 में ऑस्कर हासिल करने वाले पहले शख्स बने जैनिंग्स ने द्वितीय विश्व युद्ध में अमेरिका के दुश्मन देश जर्मनी के लिए भारी मात्रा में नाज़ी प्रचार वाली फिल्मों में हिस्सा लिया. उस वक्त यहूदियों पर जुल्म ढाने के लिए बदनाम हुई जर्मनी के लिए काम करने वाले शख्स को अमेरिका का इतना बड़ा सम्मान दिया जाना एक विडंबना नहीं तो क्या है.
वैसे भी ऑस्कर का आयोजन करने वाली एकेडमी ऑफ मोशन पिक्चर्स, आर्ट्स एंड साइंसेस भी राजनीतिक उठापटक से अछूती नहीं रहती. इन पुरस्कारों को करीब से देखने वाले यह आरोप लगाते आए हैं कि किस तरह अमेरिका के राजनीतिक हालात यह तय करते हैं कि कौन सी फिल्म को अवॉर्ड देना है और किसे नहीं. कुछ साल पहले ओसामा बिन लादेन की खोज और एनकाउंटर पर बनी फिल्म 'ज़ीरो डार्क थर्टी' को सर्वश्रेष्ठ फिल्म का सम्मान नहीं दिया गया. ऐसा माना गया कि इसके पीछे फिल्म में अमेरिकी एजेंसी सीआईए का चित्रण काफी हद तक जिम्मेदार था. फिल्म में सीआईए को गिरफ्त में आए आतंकियों पर यातनाएं करता हुआ दिखाया गया जिसे अमेरिकी सरकार ने आपत्तिजनक बताया. ऐसे में सोचने वाली बात है कि अगर ऑस्कर 1929 में शुरू न होकर कुछ साल बाद होता तो क्या पता जैनिंग्स का नाम नामांकन तक भी पहुंच पाता या नहीं.

जहां तक रिन टिन टिन की बात है तो ऑस्कर के विरोधी यह कह सकते हैं कि उन्हें उस अवॉर्ड की ख्वाहिश नहीं जिसके लिए कभी किसी दौर में एक कुत्ते को चुन लिया गया था. क्योंकि दिल को तो ऐसे ही बहलाया जा सकता है...