नर्सरी कक्षा के फर्श पर बनी सांप सीढ़ी पर आया असली अजगर, रेस्क्यू करने वालों को ही काटा
यूं तो सांप सीढ़ी के खेल में एक ऐसा सांप होता है जो 98 के स्कोर पर काट कर सीधे 16 या 26 के स्कोर तक पहुंचा देता है, लेकिन क्या हो जब बच्चों के मनोरंजन के लिए फर्श पर बनाई गई इस सांप सीढ़ी के खेल पर 12 फीट का असली अजगर रेंगने लग जाए। मध्यप्रदेश के खरगोन जिले के बड़वाह स्थित सेंट्रल स्कूल में कुछ ऐसा ही नजारा देख उस समय हड़कम्प मच गया, जब यहां लगने वाली नर्सरी की कक्षा वाले कमरे के फर्श पर बड़ा अजगर दिखाई दिया।
सुरक्षा गार्ड ने इसे देख तुरंत स्कूल के स्टाफ और एनिमल रेस्क्यू संस्था को सूचना दी। हालांकि इस दौरान यह अजगर इस क्लास में फर्श पर बने सांप सीढ़ी के खेल पर से रेंगते हुए, क्लास से बाहर निकलकर लॉन तक पहुंच गया। इधर अजगर निकलने की जानकारी मिलने पर सेंट्रल स्कूल के प्रिंसिपल, स्टाफ सहित सीआईएसफ के अधिकारी भी मौके पर पहुंचे। इसके बाद कड़ी मशक्कत करके सोसायटी फॉर एनिमल वेलफेयर के सदस्यों ने अजगर का रेस्क्यू भी कर लिया, लेकिन इस दौरान संस्था के एक सदस्य को अजगर ने घायल कर दिया। बता दें कि, यह पूरी घटना रविवार रात की है। इसलिए ये तो गनीमत रही कि स्कूल टाइम में दिन के समय यह घटना नहीं हुई, अन्यथा कोई अनहोनी भी हो सकती थी।
अजगर का रेस्क्यू करने पहुंचे सोसायटी फॉर एनिमल एंड वेलफेयर संस्था के सदस्य टोनी शर्मा ने बताया कि उन्हें रात करीब 10.30 बजे सेंट्रल स्कूल के गार्ड से सूचना मिली थी कि नर्सरी कक्षा में अजगर दिखाई दिया है। इसके बाद वे तुरंत स्कूल पहुंचे। हालांकि इस बीच अजगर रेंगते हुए नर्सरी की कक्षा लगने वाले कमरे से निकलकर बाहर लॉन तक पहुंच गया था। वहां भी जब तक उसे पकड़ने का प्रयास करते, अजगर वहां लगी घांस के बीच ओझल हो गया। इसके बाद वहां अंधेरा होने के चलते हमें अजगर को ढूंढने में काफी दिक्कतें हुईं।
रेस्क्यू करने आए संस्था सदस्य को काटा
उन्होंने बताया कि इस बीच जानकारी मिलते ही सेंट्रल स्कूल के प्राचार्य और वहां के स्टाफ सहित सीआईएसएफ़ के अधिकारी भी मौके पर पहुंच गए थे। हमने वहां किसी तरह अंधेरे में ही उस 12 फीट लम्बे अजगर का रेक्स्यू किया। हालांकि इन दौरान उसे थैले में डालने के समय उस अजगर ने मुझे काट लिया था। वहीं संस्था के सदस्य टोनी के अनुसार अजगर जहरीला नहीं होता है, इसलिए इससे कोई समस्या नहीं है। लेकिन फिर भी इसके लिए एंटीबायोटिक दवा लेना जरूरी है। इसके बाद उन्होंने डिप्टी रेंजर नरेंद्र मंडलोई को इसकी सूचना देकर उसे सुरक्षित वन क्षेत्र में छोड़ा दिया।