MP हाई कोर्ट ने शासकीय कर्मचारियों के लाभों और पदोन्नति के मामले में अधिकारियों की लापरवाही पर नाराजगी व्यक्त की
ग्वालियर. किसी शासकीय कर्मचारी का सर्विस रिकॉर्ड दुरूस्त रखना किसकी जिम्मेदारी है, शासन के अधिकारी ही तो करेंगे कब तक कागजी घोडे दौडाते रहोंगे। कोर्ट के आदेश का पालन कब करोगे, जब पेंशनर मर जाएगा। एक दूसरे पर बात डालने से अच्छा है कि ग्वालियर और दतिया दोनों के कलेक्टर अगली सुनवाई पर कोर्ट में मौजूद रहें। यह बात नाराजगी भरे स्वर में हाई कोर्ट के जस्टिस अनिव वर्मा ने एक अवमानना याचिका की सुनवाई के दौरान कही।
भ्रष्टाचार के आरोप के कारण गई थी नौकरी
एक शासकीय कर्मचारी की पेंशन के अलावा ग्रेज्युटी सहित अन्य लाभ दिए जाने को लेकर कोर्ट के आदेश का पालन नहीं होने पर यह याचिका 2014 में दायर की गई थी। याचिकाकर्ता कैलाश नारायण की ओर से बताया गया कि याचिकाकर्ता रेवेन्यू इंस्पेक्टर के पद पर काम करता था। उन पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा जिस मामले में उन्हें सजा हुई। इसके चलते उनकी पेंशन रोक ली गई लेकिन बाक के लाभ दिए जाने के लिए कोर्ट ने आदेश क दिया था लेकिन पालन नहीं किया गया।
अवमानना याचिकाओं पर सुनवाई
हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में बुधवार को दो मामलों में दायर अवमानना याचिकाओं पर सुनवाई की गई। इसमें जस्टिस अनिल वर्मा ने 12-13 साल से लंबित अवमानना याचिकाओं के प्रति गंभीर नाराजगी जताते हुए चेताया कि अगर सभी याचिकाओं का पालन समय रहते नहीं किया गया तो डीजीपी और कलेक्टर को खुद कोर्ट में आकर देरी का कारण बताना होगा।