प्रधानमंत्री श्री मोदी का पंचामृत संकल्प विश्व को नई दिशा देगा : मुख्यमंत्री डॉ. यादव

गांधी नगर में चौथे ग्लोबल रीन्यूएबल एनर्जी इन्वेस्टर मीट के दूसरे चरण में विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों के मध्य गहन विचार-विमर्श हुआ। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा "पंचामृत" का संकल्प; वर्ष 2070 तक नेट जीरो ऐमिशन का लक्ष्य प्राप्त करना, वर्ष 2030 तक गैर परंपरागत ऊर्जा क्षमता 500 गीगावाट तक बढ़ाना, वर्ष 2030 तक सकल ऊर्जा उत्पा्दन में नवकरणीय ऊर्जा का हिस्सा बढ़ाकर 50 प्रतिशत तक ले जाना, ऐमिशन्स की तीव्रता को 45 प्रतिशत घटाना और कार्बन उत्सर्जन में 2030 तक 1 बिलियन टन की कमी लाने के लिये पूरे विश्व को नई दिशा दी है।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रदेश की वर्ष 2012 में नवकरणीय ऊर्जा की क्षमता 500 मेगावाट से भी कम थी। हमने अलग से विभाग का गठन कर नीतियों और विभिन्न प्रोत्साहन से 12 सालों में क्षमता को 14 गुना बढ़ाया है और 7 हजार मेगावॉट का लक्ष्य प्राप्त किया है। रीवा सौर परियोजना के अंतर्गत स्थापित सौर ऊर्जा पार्क से देश में पहली बार कोयला उत्पादित ऊर्जा से सस्ती सौर ऊर्जा उपलब्ध कराई गई है। इससे दिल्ली मेट्रो को बिजली दी गई। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में इसे केस स्टडी के रूप में शामिल किया गया है। आगर-शाजापुर-नीमच सौर परियोजना के नीमच सौर पार्क में बिजली का टैरिफ 2.14 रुपए प्रति यूनिट है, जो देश का न्यूनतम है। इस परियोजना से प्रदेश के साथ-साथ भारतीय रेलवे को भी बिजली सप्लाई हो रही है। आगर-शाजापुर-नीमच में 1500 मेगावाट क्षमता का सोलर पार्क निर्माणाधीन है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्यप्रदेश, असंभव को संभव करने की शक्ति रखता है। माँ नर्मदा पर ओंकारेश्वर में 600 मेगावाट क्षमता की दुनिया की सबसे बड़ी फ्लोटिंग सोलर परियोजना विकसित की जा रही है, जिसमें 200 मेगावाट परियोजना के पैनल लगाए जा चुके हैं। फ्लोटिंग सोलर परियोजना में वाष्पीकरण से पानी की हानि कम होगी और परियोजना के लिए किसी विस्थापन की आवश्यकता नहीं होगी।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि मध्यप्रदेश "हार्ट ऑफ इनक्रेडिबल इंडिया" है। लगभग एक तिहाई वन क्षेत्र के साथ और नवकरणीय ऊर्जा में अग्रणी कार्य करते हुए मध्यप्रदेश "लंग्स ऑफ इनक्रेडिबल इंडिया" बनने का विजन रखता है। हम आगामी वर्षों में 20 हज़ार मेगावाट से ज्यादा नवकरणीय ऊर्जा का उत्पादन करेंगे और 2030 तक 50 प्रतिशत ऊर्जा नवकरणीय स्त्रोतों से लेंगे। मिशन मोड में वर्ष 2025 तक सभी शासकीय भवनों पर सोलर रूफटॉप लगाने का लक्ष्य है।

मध्यप्रदेश सरकार पंप हाइड्रो ऊर्जा भंडारण परियोजनाओं के सुगम विकास के लिए राज्य की मौजूदा पंप हाइड्रो कार्य योजना में जरूरी बदलाव करने पर विचार कर रही है, ताकि सभी निवेशक आसानी से प्रदेश में निवेश कर सकें। आगर, धार, अशोकनगर, भिंड, शिवपुरी और सागर जिलों में 15 हजार हेक्टेयर भूमि चिन्हित की गई है, जहां 7 हजार 500 मेगावाट सौर ऊर्जा क्षमता स्थापित की जाएगी। उज्जैन, आगर, धार, मंदसौर और रतलाम में 3 हजार मेगावाट पवन ऊर्जा स्थापित करने का लक्ष्य है। कंप्रेस्ड बायो गैस (सीबीजी) से भी ऊर्जा उत्पादन का काम मध्यप्रदेश में किया जा रहा है और भविष्य में चम्बल के बीहड़ जैसी अनुपयोगी भूमियों का उपयोग भी कंप्रेस्ड बायो गैस के उत्पादन के लिए करने पर हम विचार कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हम रिन्यूएबल एनर्जी को प्रोमोट करने के लिए मध्यप्रदेश के नर्मदापुरम में 464.65 करोड़ रुपये की लागत से 227.54 एकड़ का अत्याधुनिक मैन्युफैक्चरिंग जोन स्थापित कर रहे हैं। मध्यप्रदेश इस जोन में भूमि, विद्युत, जल दरों पर आकर्षक प्रोत्साहन जैसे भूमि प्रब्याजी की 1 रुपये टोकन राशि पर भूमि आवंटन, लीज रेंट की वार्षिक दर 1 रुपये प्रति वर्ग मीटर, विद्युत दर (टैरिफ) में 4 रुपये 36 पैसे प्रति यूनिट प्रथम 5 वर्षों तक के लिए छूट आदि प्रोत्साहन प्रदान कर रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने प्रधानमंत्री जी को आश्वस्त किया कि वर्ष 2030 तक 500 गीगावाट नवकरणीय ऊर्जा के लक्ष्य को प्राप्त करने में मध्यप्रदेश महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।