चुनावी साल में बिजली संकट, केंद्र ने कोयला रोका

चुनावी साल में सीएम शिवराज सिंह को बिजली संकट झटके दे सकता है। अब केंद्रीय कोल एजेसियां ने मध्यप्रदेश का कोयल रोक रखा है। मनमोहन सरकार में इसी मुद्दे पर शिवराज सिंह ने उपवास का ऐलान कर दिया था परंतु अब वो भी नहीं कर सकते।
मध्यप्रदेश सरकार के लगातार मांग के बावजूद केंद्रीय कोल एजेसियां प्रदेश को पर्याप्त कोयला मुहैया नहीं करा रही है। केंद्र में बीजेपी सरकार के आने के बाद से अभी तक एक बार भी राज्य को उसकी जरुरत के मुताबिक कोयला नहीं मिला है और अब हालात बिगड़ने लगे है। कोयले के कमी के कारण कई थर्मल पावर प्लांट में बिजली उत्पादन ठप्प पड़ा है। मध्य प्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी के थर्मल पावर प्लांट के लिए कोल कंपनियों से किए गये अनुबंध के बावजूद कहीं आधी मात्रा में तो कहीं आधे से भी कम कोयला मिल रहा है। सबसे ज्यादा संकट जहां है, उनमें अमरकंटक पावर प्लांट, संजय गांधी पवार प्लांट बिरसिंहपुर, सतपुड़ा पावर प्लांट सारनी, सिंगाजी पावर प्लांट खंडवा शामिल है।
वहीं प्रदेश के ऊर्जा मंत्री कई बार केंद्र को पत्र लिखने और अफसरों के दिल्ली दौरे के बाद भी कोयला नहीं मिलने पर अपना दर्द बयां कर रहे है। ऊर्जा मंत्री के मुताबिक कोयला संकट होने पर भी सरकार निजी क्षेत्र से बिजली खरीद कर कोयला मुहैया कराएगी। मध्य प्रदेश को मनमोहन सिंह सरकार के वक्त भी केंद्र से कोयला नहीं मिलने की शिकायत थी। उस वक्त कोयला स्टॉक को लेकर सीएम शिवराज सिंह ने केंद्र सरकार के खिलाफ उपवास का ऐलान किया था, लेकिन अब केंद्र में अपनी ही पार्टी के सत्ता में काबिज होने की वजह से शिवराज सरकार बैकफुट पर है।