आईटीएम यूनिवर्सिटी में राष्ट्रीय संगोष्ठीआयोजित

ग्वालियर । ’भारत में 70 प्रतिशत कृषि वर्षा पोषित कृषि पर आधारित है। पूरे विश्व में भारत एक ऐसा बड़ा देश है जिसका अन्न उत्पादन वर्षा
पर निर्भर रहता है। ऐसे में जरूरी हो जाता है कि हम जल प्रबंधन पर गंभीरता से
ध्यान दें और इसके लिए सकारात्मक प्रयास करना शुरू कर दें।’
कुछ ऐसे ही विचार व नई कृषि तकनीकों से अवगत कराया, देश के जाने-माने कृषि वैज्ञानिकां और विशेषज्ञों ने, जो आईटीएम यूनिवर्सिटी में आयोजित दो दिवसीय कृषि आधारित राष्ट्रीय संगोष्ठी को सम्बोधित कर रहे थे। उद्घाटन सत्र में देश जाने-माने वैज्ञानिक राजमाता विजयाराजे सिंघिया कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर के कुलपति डॉ. एस.के. राव व कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर एवं कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर के पूर्व कुलपति डॉ विजय सिंह तोमर ने भाग लिया।
इसके अलावा कार्यक्रम मेंं उपस्थित आईटीएम विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. कमल कान्त द्विवेदी व सलाहकार कुलाधिपति डॉ. आर.डी. गुप्ता ने वर्षा आधारित कृषि की समस्याओं के निराकरण हेतु संक्षिप्त में जानकारी दी। सभी विशेषज्ञों ने इस विषय पर आधारित संगोष्ठी को सम सामयिक एवं महत्वपूर्ण बताया। कृषि संकाय के अधिष्ठाता डॉ. गिरीश पाण्डेय ने सभी आगन्तुकों का स्वागत करते हुए वर्षा आधारित कृषि पर विस्तार से जानकारी दी।
सरकार की ऋण एवं सब्सिडी व्यवस्था को बताया
संगोष्ठी के तृतीय एवं चतुर्थ सत्र में नीति आयोग के कृषि सलाहकार डॉ. जे.पी मिश्रा ने भारत सरकार की वित्त सहायता के बारे में विस्तार से बताया। इसके साथ ही उन्होंने किसानों एवं विद्यार्थियों के प्रश्नों के उत्तर भी दिए। उन्होंने विशेष तौर पर वर्षा आधारित खेती से संबंधित सरकार की ऋण एवं सब्सिडी व्यवस्था को विस्तार से समझाया। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के भूतपूर्व निदेशक डॉ. ओ.पी.एस. पंवार ने समन्वित पोषक तत्व से होने वाली खेती पर प्रभाव एवं वित्तीय लाभ के बारे में बताया। इस विषय पर किसानों एवं विद्यार्थियों के समसामायिक प्रश्नों के उत्कृष्ट उत्तर भी दिए।