कलकत्ता हाईकोर्ट ने दिया बीरभूम हिंसा की CBI जांच का आदेश, 7 अप्रैल तक सौंपनी होगी रिपोर्ट
कलकत्ता हाई कोर्ट ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में हुई हिंसा की जांच सीबीआई से कराए जाने का आदेश दिया. अदालत ने शुक्रवार को मामले में सुनवाई करते हुए राज्य सरकार की उस मांग को ठुकरा दिया, जिसमें बीरभूम हिंसा की जांच बंगाल पुलिस से ही कराने की बात कही गई थी. अदालत ने पश्चिम बंगाल के एडवोकेट जनरल (एजी) से कहा कि हमें अपने आदेश को रोकने के पीछे कोई वजह नजर नहीं आती, इसलिए आपकी मांग ठुकराई जाती है. सीबीआई को अदालत ने आदेश दिया कि वह मामले की जांच रिपोर्ट 7 अप्रैल तक सौंप दे.
बीते 21 मार्च की रात पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के बोगतुई गांव में हिंसा और आगजनी हुई थी. सत्ताधारी दल तृणमूल कांग्रेस से जुड़े उप प्रधान भादू शेख की हत्या के बाद कुछ अराजक तत्वों ने बोगतुई गांव में करीब दर्जन भर घरों को आग के हवाले कर दिया था, जिसमें जलकर 6 महिलाओं और 2 बच्चों समेत कुल 8 लोगों की दुखद मृत्यु हो गई थी. इसी मामले में जनहित याचिका दायर कर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) या राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) से जांच की मांग की गई थी.
कलकत्ता हाई कोर्ट ने इस घटना का स्वत: संज्ञान लेते हुए पश्चिम बंगाल पुलिस से 24 घंटे के भीतर विस्तृत रिपोर्ट तलब किया था और फॉरेंसिक जांच के लिए दिल्ली सीएफएसएल की टीम को घटनास्थल से आवश्यक नमूने इकट्ठा करने का आदेश दिया था. गुरुवार को कोर्ट ने इस केस में सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था. बोगतुई गांव का दौरा करने के बाद शुक्रवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि हिंसा फैलाने वालों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी चाहे वे किसी भी राजनीतिक दल से जुड़े हों.
कोलकाता स्थित विक्टोरिया मेमोरियल में नवनिर्मित विप्लवी भारत दीर्घा का वर्चुअली उद्घाटन करने के बाद अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ”मैं इस हिंसक वारदात पर दुख व्यक्त करता हूं…अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं. केंद्र सरकार की तरफ से मैं राज्य को इस बात के लिए आश्वस्त करता हूं कि अपराधियों को जल्द से जल्द सजा दिलवाने में जो भी मदद वह चाहेगी, उसे मुहैया कराई जाएगी. आशा करता हूं कि राज्य सरकार बंगाल की महान धरती पर ऐसा जघन्य पाप करने वालों को जरूर सजा दिलवाएगी.”