MP के जंगलों में बम और गोली चलाने की ट्रेनिंग देता था आतंकी सफदर नागौरी
गुजरात सीरियल बम धमाकों में जिस सिमी आतंकी सफदर नागौरी को कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई वह इंदौर से 30 किमी दूर चौरल के जंगलों में ही ट्रेनिंग कैंप लगाता था। सफदर नागौरी, आमिल परवाज, कमरूद्दीन सहित 13 सिमी आतंकियों को इंदौर-धार पुलिस ने 27 मार्च 2008 को श्यामनगर से गिरफ्तार किया था। विभिन्न राज्यों से एकत्र हुए सिमी आतंकी भारत के विरूद्ध युद्ध छेड़ने की साजिश रच रहे थे।
भारत के विरुद्ध ही युद्ध छेड़ना चाहता था आतंकी नागौरी
इंडियन मुजाहिदीन से जुड़ा सफदर नागौरी 1998 में उस वक्त सुर्खियों में आया जब उसने आमिल परवाज की मदद से छोटी ग्वालटोली क्षेत्र में अलामती मार्च निकाला और भारतीय संविधान की प्रतियां जला दी।सफदर के पिता उज्जैन पुलिस की गोपनीय शाखा में पदस्थ रहे हैं। सिमी पर प्रतिबंध लगने के बाद सफदर फरार हो गया और धमाकों के लिए युवाओं की फौज तैयार करने में जुट गया। सफदर ने चौरल के जंगलों में बने एक फार्म हाउस पर ट्रेनिंग कैंप लगाया जिसमें महाराष्ट्र,कर्नाटका,गुजरात व मध्यप्रदेश के कईं सिमी कार्यकर्ताओं को गुरिल्ला वार,गोली चलाने,भागने,बम फेंकने और जंगलों में कईं दिनों तक भूखा रहने का प्रशिक्षण दिया। 27 मार्च 2008 को सफदर 13 आतंकियों को लेकर दोबारा कैंप लगाने आया लेकिन तत्कालीन आइजी अनिल कुमार ने दबिश देकर पकड़ लिया।
आतंकियों की शिनाख्त करने के लिए गोपनीय शाखा के एसआइ योगेश शर्मा दिनभर चायवाला बनकर श्यामनगर में घूमते रहे। सफदर ने पूछताछ में गुजरात धमाकों की जिम्मेदारी ली और एटीएस उसे सेंट्रल जेल से गिरफ्तार कर अहमदाबाद ले गई। पूछताछ में शामिल एक अफसर के मुताबिक सीरियल धमाकों में गिरफ्तारी के बाद भी सफदर को शिकन नहीं थी। वह भारत के विरुद्ध ही युद्ध छेड़ना चाहता था। उसने कहा था कि वह तालिबान का खूंखार आतंकी कमांडर मुल्ला उमर को खलीफा मानता है। नागौरी के पिता पुलिस विभाग से सेवानिवृत हुए हैं।