नगालैंड में वापसी की मांग के बीच फिर 6 महीने के लिए बढ़ा AFSPA
कोहिमा. नगालैंड में सशस्त्र बल विशेष अधिकार कानून या AFSPA को 6 महीनों के लिए बढ़ाया गया है. यह कानून सशस्त्र बलों को बगैर रोक-टोक के ‘अशांत इलाकों’ में कार्रवाई करने की अनुमति देता है. विवादों में रहा यह कानून हाल ही में हुई घटना के बाद फिर निशाने पर आ गया था, जब सेना की एक कार्रवाई में आम नागरिकों की मौत हो गई थी. फिलहाल, इस मामले की जांच जारी है.
केंद्र सरकार की तरफ से अधिसूचना जारी की गई, ‘केंद्रीय सरकार का यह मत है कि सम्पूर्ण नागालैंड राज्य की सीमा के भीतर आने वाला क्षेत्र ऐसी अशांत और खतरनाक स्थिति में है, जिससे वहां नागरिक प्रशासन की सहायता के लिए सशस्त्र बलों का प्रयोग करना आवश्यक है.’ नागालैंड के अधिकार समूह और राज्य सरकार लगातार केंद्र से AFSPA को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. 4 दिसंबर को हुई घटना के बाद राज्य में अफस्पा विरोधी गतिविधियां तेज हो गई थी.
20 दिसंबर को नगालैंड विधानसभा ने सर्वसम्मति से उत्तर पूर्व और खासतौर से राज्य से अफस्पा वापस लेने की मांग को पारित किया. मुख्यमंत्री नेफ्यू रियु ने इस हफ्ते केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद कहा था कि विवादित कानून की वापसी के लिए एक समिति का गठन किया जाएगा. इधर, 4 दिसंबर को हुई घटना की जांच के संबंध में नगालैंड की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम को शामिल सैनिकों के बयान दर्ज करने के लिए सेना भी सहमत हो गई है.
कैसे काम करता है AFSPA
AFSPA का काम करने का तरीका राज्य और केंद्र सरकार के फैसलों की श्रृंखला पर आधारित है. जब राज्य सरकार को लगता है कि सशस्त्र विद्रोह आंदोलन हिंसा के चरम स्तर पर पहुंच गया है और मौजूदा कानून और व्यवस्था इसे रोकने में सक्षम नहीं हैं, तो इलाके को ‘अशांत इलाका’ घोषित किया जाता है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, AFSPA सुरक्षाबलों को विद्रोह प्रभावित इलाकों में कार्रवाई की शक्ति देता है.