Coal Crisis: देश में गहराया बिजली संकट, 3 राज्यों में 20 प्लांट बंद, केंद्र से हस्तक्षेप की मांग
नई दिल्ली. देश में कोयले की कमी (Coal Crisis) से बिजली संकट गहराता जा रहा है. पंजाब, केरल, और महाराष्ट्र को मिलाकर 20 थर्मल पावर स्टेशन बंद हो चुके हैं. हिंदुस्तान की रिपोर्ट के मुताबिक इनमें 3 पंजाब में, चार केरल में और महाराष्ट्र के 13 थर्मल पावर स्टेशन पर काम ठप है. वहीं संभावित बिजली संकट (Power Crisis) को देखते हुए कर्नाटक और पंजाब के मुख्यमंत्रियों ने केंद्र से अपने राज्यों में कोयले की आपूर्ति बढ़ाने का अनुरोध किया है. केरल सरकार ने चेताया है कि उन्हें लोड शेडिंग का सहारा लेना पड़ सकता है, वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) से हस्तक्षेप का आग्रह किया है, ताकि कोयले और गैस को बिजली आपूर्ति करने वाले संयंत्रों की ओर मोड़ा जा सके.
बिजली संकट पर क्या कहते हैं आंकड़ें
बिजली मंत्रालय (Ministry of Power) के आंकड़ों के मुताबिक बिजली की खपत शनिवार को लगभग दो प्रतिशत या 7.2 करोड़ यूनिट घटकर 382.8 करोड़ यूनिट हो गई, जो शुक्रवार को 390 करोड़ यूनिट थी. इसके चलते कोयले की कमी के बीच देशभर में बिजली की आपूर्ति में सुधार हुआ. आंकड़ों के मुताबिक शुक्रवार, आठ अक्टूबर को बिजली की खपत 390 करोड़ यूनिट थी, जो इस महीने अब तक (1-9 अक्टूबर) सबसे ज्यादा थी. बिजली की मांग में तेजी देश में चल रहे कोयला संकट के बीच चिंता का विषय बन गई थी.
अगले तीन दिन में बढ़ेगी कोयले की आपूर्ति
बिजली मंत्रालय ने कहा कि कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) द्वारा कोयले की कुल आपूर्ति 15.01 लाख टन प्रतिदिन तक पहुंच गई. इस कारण खपत और वास्तविक आपूर्ति के बीच अंतर कम हो गया. कोयला मंत्रालय और सीआईएल ने आश्वासन दिया है कि वे अगले तीन दिन में बिजली क्षेत्र में कोयले की को बढ़ाकर 16 लाख टन प्रतिदिन करने के लिए भरपूर कोशिश कर रहे हैं और उसके बाद इसे बढ़ाकर 17 लाख टन प्रतिदिन किया जाएगा.
केंद्र सरकार ने क्या कहा
केंद्रीय बिजली मंत्री आर के सिंह ने ताप संयंत्रों में कोयले के भंडार की स्थिति की समीक्षा की. मंत्रालय ने चेतावनी दी कि यदि कोई बिजली वितरण कंपनी पीपीए के अनुसार बिजली उपलब्ध होने के बावजूद लोड शेडिंग का सहारा लेती है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. कोयला मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि बिजली उत्पादक संयंत्रों की जरूरत को पूरा करने के लिए देश में कोयले का पर्याप्त भंडार है.
मंत्रालय ने कोयले की कमी की वजह से बिजली आपूर्ति में बाधा की आशंकाओं को पूरी तरह निराधार बताया. मंत्रालय ने बयान में कहा, ‘कोयला मंत्रालय आश्वस्त करता है कि बिजली संयंत्रों की जरूरत को पूरा करने के लिए देश में कोयले का पर्याप्त भंडार है. इसकी वजह से बिजली संकट की आशंका पूरी तरह गलत है.’
कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी ने ट्वीट किया, ‘देश में कोयले के उत्पादन और आपूर्ति की स्थिति की समीक्षा की. मैं सभी को भरोसा दिलाना चाहता हूं कि बिजली आपूर्ति में बाधा की कोई आशंका नहीं है. कोल इंडिया के मुख्यालय पर 4.3 करोड़ टन कोयले का भंडार है जो 24 दिन की कोयले की मांग के बराबर है.’
पावर प्लांट्स को रोज कितना कोयला चाहिए
कोयला मंत्रालय ने कहा कि बिजली संयंत्रों के पास करीब 72 लाख टन का कोयला भंडार है, जो चार दिन के लिए पर्याप्त है. कोल इंडिया के पास 400 लाख टन का भंडार है, जिसकी आपूर्ति बिजली संयंत्रों को की जा रही है. देश में कोयला आधारित बिजली उत्पादन इस साल सितंबर तक 24 प्रतिशत बढ़ा है. बिजली संयंत्रों को आपूर्ति बेहतर रहने की वजह से उत्पादन में बढ़ोतरी हुई है. बिजली संयंत्रों को प्रतिदिन औसतन 18.5 लाख टन कोयले की जरूरत होती है. दैनिक कोयला आपूर्ति करीब 17.5 लाख टन की है.
क्या है राज्यों का हाल
पंजाब
राज्य में बिजली आपूर्ति की स्थिति गंभीर बनी हुई है और राज्य के स्वामित्व वाली पीएसपीसीएल ने रविवार को कहा कि राज्य में 13 अक्टूबर तक रोजाना तीन घंटे तक बिजली कटौती की जाएगी. कोयले की गंभीर कमी ने पंजाब राज्य विद्युत निगम लिमिटेड को बिजली उत्पादन में कटौती करने और बिजली की कटौती करने के लिए मजबूर होना पड़ा. अधिकारियों ने कहा कि कोयले के भंडार में कमी के कारण, कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्र अपनी उत्पादन क्षमता के 50 प्रतिशत से भी कम पर काम कर रहे हैं.
अधिकारियों ने रविवार को कहा कि निजी बिजली तापीय संयंत्रों के पास डेढ़ दिन तक और राज्य के स्वामित्व वाली इकाइयों के पास चार दिनों तक कोयले का भंडार है. पीएसपीसीएल के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक ए वेणुप्रसाद ने कहा कि राज्य भर में स्थित सभी कोयला आधारित संयंत्रों को कोयले की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है.
केरल
केरल के बिजली मंत्री के कृष्णनकुट्टी ने रविवार को कहा कि ताप विद्युत संयंत्रों के लिए कोयले की अनुपलब्धता के कारण केंद्रीय पूल से बिजली की कमी लंबे समय तक जारी रहने की स्थिति में राज्य सरकार को लोड-शेडिंग का सहारा लेना पड़ सकता है. कोयले की कमी के कारण चार ताप विद्युत स्टेशन बंद होने से राज्य पिछले कुछ दिनों से केंद्रीय पूल से 15 प्रतिशत बिजली की कमी का सामना कर रहा है. हालांकि अभी तक ‘लोड शेडिंग’ नहीं हुई है.
मंत्री ने कहा, ‘केरल पहले से ही प्रभावित है. कल (शनिवार) हमें कुंडनकुलम से अपने दैनिक कोटे का केवल 30 प्रतिशत प्राप्त हुआ. ऑस्ट्रेलिया से कोयले और विभिन्न पर्यावरणीय मुद्दों से संबंधित मुद्दे हैं. हमें एक स्थायी समाधान खोजने की जरूरत है. अगर स्थिति लंबे समय तक इसी तरह जारी रहती है तो हमें राज्य में बिजली कटौती करनी होगी.’
उत्तर प्रदेश
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर राज्य में कोयले की आपूर्ति सामान्य कराने और प्रदेश को अतिरिक्त बिजली उपलब्ध कराने का आग्रह किया है. ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के अध्यक्ष शैलेंद्र दुबे ने रविवार को बताया कि उत्तर प्रदेश में सरकारी स्वामित्व वाली विद्युत इकाइयों में कोयले की जबर्दस्त किल्लत के कारण बिजली उत्पादन बहुत कम हो गया है, जिसके कारण गांवों तथा कस्बों में बिजली की अत्यधिक कटौती की जा रही है. ऊर्जा विभाग के ताजा आंकड़ों के मुताबिक इन इलाकों में साढ़े तीन से सवा छह घंटे तक की बिजली कटौती की जा रही है.
दुबे ने बताया कि उत्तर प्रदेश में सरकार के स्वामित्व वाले चार बड़े पन-बिजली संयंत्रों में से पारीछा और हरदुआगंज में केवल आधे दिन का कोयला बाकी रह गया है. ओबरा और अनपरा में भी मात्र दो दिन का कोयला ही बाकी रह गया है. नियम यह है कि कोयला खदान के मुहाने पर स्थित बिजली संयंत्रों में कम से कम सात दिन का तथा दूर स्थित संयंत्रों में कम से कम 15 दिन का कोयले का भंडार रहना चाहिए.
दुबे ने बताया कि एनटीपीसी के विभिन्न बिजली संयंत्रों में भी कोयले की जबर्दस्त किल्लत उत्पन्न हो गई है. देश में कुल 135 पन बिजली संयंत्र है जिनमें से लगभग आधे में कोयला खत्म हो चुका है. उत्पादन निगम के ताजा आंकड़ों के मुताबिक उत्तर प्रदेश की हरदुआगंज इकाई में बिजली उत्पादन 610 के बजाय महज 230 मेगावाट जबकि पारीछा में 920 मेगावाट क्षमता के बजाय मात्र 320 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है.
कोल इंडिया का बकाया
दुबे ने बताया कि लैंको और रोजा समेत सभी निजी बिजली उत्पादन इकाइयों में भी शून्य से अधिकतम तीन दिन तक का ही कोयला उपलब्ध है. उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में हालात और भी गंभीर इसलिए हो गए हैं, क्योंकि उत्तर प्रदेश पर कोल इंडिया का करीब 1500 करोड़ रुपए का बकाया है लिहाजा उसने उत्तर प्रदेश को वरीयता सूची में तीसरे नंबर पर डाल दिया है.
देश में कोयले का रिकॉर्ड उत्पादन
देश में इस वर्ष कोयला का हालांकि रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है, लेकिन अत्यधिक वर्षा ने कोयला खदानों से बिजली उत्पादन इकाइयों तक ईंधन की आवाजाही को ख़ासा प्रभावित किया है. गुजरात, पंजाब, राजस्थान, दिल्ली और तमिलनाडु समेत कई राज्यों में बिजली उत्पादन पर इसका गहरा असर पड़ा है. कोयला संकट के कारण पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, झारखंड, बिहार और आंध्रप्रदेश में भी बिजली आपूर्ति प्रभावित हुई है.
दिल्ली
इस बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने बिजली संकट को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र को एक पत्र लिखा है. उन्होंने पत्र में कहा कि वह व्यक्तिगत रूप से इस स्थिति पर नजर रख रहे हैं और ऐसी स्थिति न आए इसके लिए पूरी कोशिश कर रहे हैं.
आंध्र प्रदेश
आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी ने भी प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा, “कटाई के अंतिम चरण में अधिक पानी की आवश्यकता होती है और यदि पानी नहीं मिलता, तो खेत सूख जाते हैं और किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है.”
मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने रविवार को दावा किया कि बिजली संकट नहीं है और राज्य बिजली के मामले में बेहतर स्थिति में है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने अपने बिजली संयंत्रों के लिए आठ मीट्रिक टन कोयला खरीदने के लिए टेंडर भी जारी कर दिया है.
तोमर ने कहा, ‘बिजली संकट राष्ट्रीय स्तर पर है और इस मामले में मध्य प्रदेश बेहतर स्थिति में है. मंत्री ने बताया कि शनिवार को राज्य को करीब 45,000 मीट्रिक टन कोयला मिला. तोमर ने कहा, ‘मुझे लगता है कि हमें जल्द ही इस संकट से छुटकारा मिल जाएगा… राज्य में वर्तमान में कोई बिजली संकट नहीं है.’
कर्नाटक
मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कोयले की कमी के कारण राज्य में संभावित बिजली संकट के मद्देनजर रविवार को कहा कि उन्होंने केंद्र से कोयले की आपूर्ति बढ़ाने के लिए कहा है. बोम्मई ने कहा, ‘मैं पहले ही कह चुका हूं कि हमने केंद्र से कोयले की आपूर्ति चार रैक बढ़ाने का अनुरोध किया है.’
उन्होंने कहा कि कर्नाटक को महाराष्ट्र के चंद्रपुर और ओडिशा में महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड की खदानों से कोयले का आवंटन मिला है और दोनों परियोजनाओं को मंजूरी की जरूरत है.
अन्य राज्यों का हाल
गुजरात को 1850, पंजाब को 475, राजस्थान को 380, महाराष्ट्र को 760 और हरियाणा को 380 मेगावाट बिजली की आपूर्ति करने वाली टाटा पावर ने गुजरात के मुंद्रा में अपने आयातित कोयला आधारित बिजली संयंत्र से उत्पादन बंद कर दिया है. अडाणी पावर की मुंद्रा इकाई को भी इसी तरह की समस्या का सामना करना पड़ रहा है.
कोयला संकट क्यों पैदा हुआ?
बिजली संयंत्रों में कोयले के भंडार में कमी होने के चार कारण हैं- अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार के कारण बिजली की मांग में अभूतपूर्व बढ़ोतरी, कोयला खदानों में भारी बारिश से कोयला उत्पादन और ढुलाई पर प्रतिकूल प्रभाव, आयातित कोयले की कीमतों में भारी बढ़ोतरी और मानसून से पहले पर्याप्त कोयला स्टॉक न करना